कुछ खोज रही हूँ आज,
जीवन के अनमोल क्षण ,
वो खुशियाँ ,
फिसलती गयी मेरे हाथो से ,
मुट्ठी में बंद बालू जैसे |
(कुछ - कुछ जीवन भी इस तट जैसा ही है ना |)
कभी होते है सुनहरे पल,
ठीक चाँदनी में चमकती बालू जैसे,
कभी अनमोल शान्ति,
सागर की अथाह गहराई जैसे,
सागर की ऊँची - ऊँची लहरों में,
कभी - कभी कोई सब कुछ बहा ले जाता है |
पर क्या ये बस समाप्ति का सूचक है......... ?
नहीं...,
ये नवजीवन के प्रारंभ का संकेत भी तो है |
"जिज्ञासा"
वो खुशियाँ ,
फिसलती गयी मेरे हाथो से ,
मुट्ठी में बंद बालू जैसे |
(कुछ - कुछ जीवन भी इस तट जैसा ही है ना |)
कभी होते है सुनहरे पल,
ठीक चाँदनी में चमकती बालू जैसे,
कभी अनमोल शान्ति,
सागर की अथाह गहराई जैसे,
सागर की ऊँची - ऊँची लहरों में,
कभी - कभी कोई सब कुछ बहा ले जाता है |
पर क्या ये बस समाप्ति का सूचक है......... ?
नहीं...,
ये नवजीवन के प्रारंभ का संकेत भी तो है |
"जिज्ञासा"