Sunday, December 25, 2011

घृणा ..अथवा ...विवशता .!!

An attempt for a broken heart .... we usually say I hate you... but I love you.. only you....tried to explain those feelings through this poem...




तुम पर आरोप का कोई प्रश्न ही नहीं है ,
                      एस पहेली का कोई हल ही नहीं है |


उलझ जायेगा जीवन इस प्रश्न में ,
                       क्या प्रेम  पर कोई बंधन नहीं है ?


जाती हूँ दूर जितना ,
                  उतनी ही निकटता है |
पर तुम्हे भूल जाना ,
                   आज मेरी विवशता है |




तुम्हारे लिए आज मैं ,
                      घृणा  का विषय हूँ |


नहीं जानती , मैं ...


जीवन के आज ,किस मोड़ पर हूँ  |




हर रास्ते पर ,
                  चुनौती है जीवन |
महसूस किया है मैंने ,
                  कितना अधूरापन |


शायद ...


ज़रूरी था ये ,
        सब भुलाने के लिए |
ज़िन्दगी में ,
         एक ठहराव लाने के लिए |


सच ...


ज़िन्दगी आज बिलकुल ,
                           ठहर सी गयी है |




संवारना है जिसको ,
                         बड़ा ही मुश्किल |
नहीं जानती अब ,
                       कहाँ है मंजिल |




 कहाँ है मंजिल ,  कहाँ है मंजिल | |




                                                            कृति "जिज्ञासा"





एक ख्वाब ... A Desire !!

Again something romantic....its about... when we just love someone... when we just wait for someone...no matter till when....

जब तुम्हे देखा ,
                कुछ सोचती रही |
गुम हो गयी तुम में ,
                या खो सी गयी   |


था वो आकर्षण ,
               या सचमुच प्यार था |
पर उसके बाद हर पल ,
                बस तेरा इंतज़ार था |


तुम मिलोगे या नहीं ,
                मैं जानती नहीं |
पर उम्मीद की एक किरण ,
                दिल में है जगी |


तुम्हारी खुशियों को बाँटूं ,
                 ये ज़रूरी नहीं |
पर गमो की हिस्सेदार ,
                 हमेशा हूँ मैं ही |


तेरे मुँह से सुनु ,
                 मैं एक बार अपना नाम |
पर हो दिल की आवाज़ ,
                 और दिल का पैगाम |


तेरा प्यार मिले न मिले ,
                तेरा साथ तो हो |
एक दोस्त की तरह बढ़ता ,
                 तेरा हाथ तो हो |


जीवन के अँधेरे में,
                तेरी आवाज़ तो सुनु |
इसी उम्मीद के सहारे ,
                 हर गम सह लूँ |


यही तमन्ना है ,
                 यही ख्वाब है |
तेरे साथ की ,
                 बस मेरी चाह है |



                                                     कृति "जिज्ञासा"

Monday, March 21, 2011

एक एहसास....अपना सा...

प्रेम एक  अभिव्यक्ति है.... एक एहसास है, जिसके लिए भौतिक और सामाजिक विचारो का कोई मूल्य नहीं होता...प्रेम स्वछंद होता है ..जो बहते जल की तरह निर्मल, पवित्र .....वायु की तरह उन्मुक्त ...हिरन की तरह चंचल...और ज्वर भाटे की तरह उन्माद होता है....प्रेम को समझना तो कठिन है...पर इसके स्पर्श को यहाँ अपनी कुछ पंक्तियों से दर्शाने की कोशिश की है......


जब कोई इतना प्यारा लगे,
              कि  दिल हो जाये बेकाबू,
हर तरफ छाने लगे,
              बस उसका ही जादू |

जब वो ही समाने लगे,
              साँसों में तुम्हारी,
आँखों में हो कशिश,
              और दिल में खुमारी |

हर वक़्त हो उससे,
             मिलने कि तमन्ना,
आँखें चाहे तुम्हारी,
             अनकहे कुछ कहना |

हर वक़्त उसका चेहरा,
             बसा हो दिल में,
न लगे उस जैसा कोई ,
            पूरी महफ़िल में |

उसकी आवाज़ को हरवक्त ,
             बेताब हो दिल ,
उसी से जुडी लगी राहें,
             वो लगे संगदिल |

तब समझो ...ए दिल ,
               है ये वो प्यारा सा एहसास ,
जो होना ही था तुम्हे,
               शायद एक बार |

इसके बिना ज़रूरत,
               अधूरी तुम्हारी |
यही है..ए दिल ....,
               मंजिल तुम्हारी....|

वो मंजिल तुम्हारी ...||  


                        "जिज्ञासा"

Sunday, March 20, 2011

अपूर्ण पूर्णविराम....

जानती हूँ ,
     कुछ ही पलो का साथ था हमारा ,
फिर भी ..
     हर पल है , इंतज़ार तुम्हारा |

जाने कैसी आस है,
     जाने क्या बात है ..
कभी तो मिलोगे ,
     ऐसा विशवास है |

तुम एक अपूर्ण ख्वाब हो,
      यही सच्चाई है,
पर अब ...
ज़िन्दगी की हकीकत,
      बस ख्वाबो में समायी है |

हर धड़कन में तेरा साज़ होता है,
      हर दुआ में बस तेरा नाम होता है,
हर मज़ार पे झुकता है ये सर,
क्यूंकि..
हर अर्ज़ में यही कलाम होता है ....

हम मिले न मिले,
      मेरी दुआ तेरे साथ रहे,
मेरे न होने पर भी,
       तेरे होठो पे सदा मुस्कान रहे |


                 "जिज्ञासा"



Saturday, March 19, 2011

सुकून ..एक सूनेपन का ........

सूनी है ज़िन्दगी,
                 सूना है जहाँ ..|

यहाँ हर पल दिल सुकून ढूंढता है....|

दिल में छिपी कशिश होठो पे आने से कतराती है...|

आँखों में छिपा दर्द,
                 मेरी कहानी बयाँ करता है..|

तुम ना मिल सके तो क्या ,
                       तुम्हारे सपने तो मेरे है ...

यही सोच कर दिल ,
                       दुआ करता है ...|

ज़िन्दगी ये मेरी सूनी ही रहे ,

क्यूंकि सूना ये दिल ,
तुम्हे ही याद किया करता है.....


सिर्फ तुम्हे ही याद किया करता है...|




                             "जिज्ञासा"