Tuesday, December 14, 2010

समर्पण ...!!

About the Poem : This was my first poem,  when I was away from my home,I realized that I how much I mean to my parents, I composed this poem, and promised with my self that I will love my family forever. This poem is all about sacrifice and love.


लेती हूँ शिक्षा लहरों से, 
          प्रेम के लिए स्वयं को समर्पित कर दो... |
जिसने दिया अस्तित्व तुम्हे,
          उसके लिए जीवन को अर्पित कर दो......|


प्रेम स्वार्थ नहीं त्याग है,
          निस्वार्थता से यह, प्रमाणित कर दो.....|
प्रेम आकर्षण नहीं, भावना है,
           कल्पनाओ का मर्दन कर दो.....|


जीवन शाश्वत नहीं, क्षणिक है,
          इसके प्रति मोह का अंत कर दो.....|

लेती हूँ शिक्षा लहरों से, 
          प्रेम के लिए स्वयं को समर्पित कर दो... |