An attempt for a broken heart .... we usually say I hate you... but I love you.. only you....tried to explain those feelings through this poem...
तुम पर आरोप का कोई प्रश्न ही नहीं है ,
एस पहेली का कोई हल ही नहीं है |
उलझ जायेगा जीवन इस प्रश्न में ,
क्या प्रेम पर कोई बंधन नहीं है ?
जाती हूँ दूर जितना ,
उतनी ही निकटता है |
पर तुम्हे भूल जाना ,
आज मेरी विवशता है |
तुम्हारे लिए आज मैं ,
घृणा का विषय हूँ |
नहीं जानती , मैं ...
जीवन के आज ,किस मोड़ पर हूँ |
हर रास्ते पर ,
चुनौती है जीवन |
महसूस किया है मैंने ,
कितना अधूरापन |
शायद ...
ज़रूरी था ये ,
सब भुलाने के लिए |
ज़िन्दगी में ,
एक ठहराव लाने के लिए |
सच ...
ज़िन्दगी आज बिलकुल ,
ठहर सी गयी है |
संवारना है जिसको ,
बड़ा ही मुश्किल |
नहीं जानती अब ,
कहाँ है मंजिल |
कहाँ है मंजिल , कहाँ है मंजिल | |
कृति "जिज्ञासा"
तुम पर आरोप का कोई प्रश्न ही नहीं है ,
एस पहेली का कोई हल ही नहीं है |
उलझ जायेगा जीवन इस प्रश्न में ,
क्या प्रेम पर कोई बंधन नहीं है ?
जाती हूँ दूर जितना ,
उतनी ही निकटता है |
पर तुम्हे भूल जाना ,
आज मेरी विवशता है |
तुम्हारे लिए आज मैं ,
घृणा का विषय हूँ |
नहीं जानती , मैं ...
जीवन के आज ,किस मोड़ पर हूँ |
हर रास्ते पर ,
चुनौती है जीवन |
महसूस किया है मैंने ,
कितना अधूरापन |
शायद ...
ज़रूरी था ये ,
सब भुलाने के लिए |
ज़िन्दगी में ,
एक ठहराव लाने के लिए |
सच ...
ज़िन्दगी आज बिलकुल ,
ठहर सी गयी है |
संवारना है जिसको ,
बड़ा ही मुश्किल |
नहीं जानती अब ,
कहाँ है मंजिल |
कहाँ है मंजिल , कहाँ है मंजिल | |
कृति "जिज्ञासा"
kuch jayada senti nai ho gai???
ReplyDeletehaan ...senti to ho gayi...kyunki bahut hi tochy topic pe likhi h na..isliye ;)
ReplyDeleteaw!!...wo rahhi manjil...dikhi...
ReplyDeletekhair!! tera space bar kaisa hai???? :P
nice poem btw...starting achchhi hai..:D
nice one...
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